प्रस्तुत अछि मुन्नी कामत जीक आजाद गजल
मनमे आस सफर लम्बा अनहार बहुत
पनपि रहल अछि मनमे सुविचार बहुत
नै डर अछि मिटै कऽ हमरा एको रती
बढ़ैत ने रहए चाहे ई अत्याचार बहुत
सर उठा कऽ चलैत रहब हम सदिखन
दिलमे अछि घुरमि रहल धुरझार बहुत
बेदाग रहत चुनरी सीताक बुझल अछि से
देहमे अछि अखनो प्राण आ इनकार बहुत
चिड़ैत रहब अनहारक कलेजा छी ठनने
मुन्नीकेँ मिलत अइसँ आगू प्रकार बहुत
मनमे आस सफर लम्बा अनहार बहुत
पनपि रहल अछि मनमे सुविचार बहुत
नै डर अछि मिटै कऽ हमरा एको रती
बढ़ैत ने रहए चाहे ई अत्याचार बहुत
सर उठा कऽ चलैत रहब हम सदिखन
दिलमे अछि घुरमि रहल धुरझार बहुत
बेदाग रहत चुनरी सीताक बुझल अछि से
देहमे अछि अखनो प्राण आ इनकार बहुत
चिड़ैत रहब अनहारक कलेजा छी ठनने
मुन्नीकेँ मिलत अइसँ आगू प्रकार बहुत
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