गुरुवार, 27 सितंबर 2012

रुबाइ



बाल रुबाई-४
थारीकेँ रोटी लऽ कौआ उड़ि गेलै
कनिए दूर उड़िकऽ ओ फेर घुरि गेलै
भनसा चार पर मरल मूस देखलकै        
रोटी छोड़िकऽ मुसरी लए मुड़ि गेलै   
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-२१.०९.२०१२)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों