शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

गजल

बाल गजल-54

बंसी लऽ चल तँ बुचिया माछ मारब ना
केराक थम्हसँ खेलब खूब हेलब ना

हर संग बरद आनब खेतमे जोतब
पोथी पढ़ैक संगे धान रोपब ना

कोआक देह कारी कोइली कारी
अंतर दुनूक देखू मीठ बाजब ना

शेरपर बैसलनि दुर्गा हँसै तैयो
काटै किएक नै ई बात खोजब ना*

वर्षासँ माटि कादो भेल लस लस तेँ
लूडो कने कने कैरम लऽ खेलब ना

मुस्तफइलुन-मफाईलुन-मफाईलुन
SSUS-USSS-USSS

अमित मिश्र
* बाल मनक प्रश्न जे शेर तँ मांसाहारी होइत अछि तखन दुर्गाक अपन पीठ पर बैसलाक बादो ओ शेर हँसि किए रहल अछि ।ओकरा तँ एखन धरि काटबाक चाही ।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों