गुरुवार, 27 सितंबर 2012

गजल

गजल-२१

ई  के  प्रियतम बनि सपना के
बनि  गेल  छै पाहुन अंगना के

प्रात  भेलय  तऽ प्रीतक धुनमे
सुमरय  छी  रातुक  घटना  के

कियो  तऽ हेतै  कतहु तऽ भेटतै
रहि - रहि फुसलाबी  अपना  के

श्रृंगार  केलक  जे  प्रेम  सुधासँ
हमर   रचल  सभ   रचना   के

"नवल"
एही  नगरी ओ भेटती
छी ओगरि कऽ बैसल पटना के

*आखर-१२ (तिथि-२४.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों