बाल रुबाई-२ कौआ बैसल चार पर कुचरै छै माँ भोरे-भोर सभके ओ जगबै छै माँ ऐ चारसँ ओए चार तक फुदकि-फुदकि छै पाहुनक अबैया से कहै छै माँ ©पंकज चौधरी (नवलश्री) *२२२/२१ (तिथि-१५.०९.२०१२) |
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शनिवार, 22 सितंबर 2012
रुबाइ
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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