शनिवार, 22 सितंबर 2012

गजल-२

संग द' क' नें करू कात प्रिये तरसै छी
दूर भ' क' नें करू बात प्रिये तरसै छी

प्रेमक ई घड़ी एक दोसरा संग बाँटी
बूझू ई हमर ज़ज़्बात प्रिये तरसै छी

बाट जोहैत ह्रदय मिलनक बेकल  
चुप भ' क' नें करू प्रात प्रिये तरसै छी

एना नहुं-नहुं क' क' जुनि पाँछाँ ससरू
उफ़ क' क' नें करू घात प्रिये तरसै छी

रूप देखैते देरी सुधि बुधि बिसरल  
मदहोश हमर हालात प्रिये तरसै छी 


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों