शनिवार, 22 सितंबर 2012

गजल

बाल गजल-१७

बारिए दिस चलि आबै भैया
खिलौनों सभ-संग लाबै भैया


करिया बऽरद देतौ लथार
कने कात दने तों आबै भैया


कनिया-पुतरा दऽ दे हमरा
तू गुड्डी अपन उड़ाबै भैया


झटहा फेंकिकऽ तोड़ै जिलेबी
संगहिं लतामो झखाबै भैया


अरनेबा केर पात तोड़ै तूं
फोंफी केर शंख बनाबै भैया


ले पात तोड़ि अनलौं नेबो के
तूं पिपही बना बजाबै भैया


पकड़ै तितली पीयर-कारी
फेरसँ ओकरा उड़ाबै भैया


नारक टाल के दोग नुकाकऽ
मोन नै हमर ओनाबै भैया


"नवल" कहै छै नीक गजल
गाबिकऽ हमरो सुनाबै भैया


*आखर-११ (तिथि-२७.०८.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों