बाल गजल-१३
भूखल जे एक राइत सुतै छै
एक बगराके माउस घटै छै
नीक-निकुत नै परसन भेटय
तैं आंगुरलऽ सभ पात चटै छै
दै फऽर-फूल-छाहरि-आँक्सीजन
किएक लोक फेर गाछ कटै छै
गांड़ि घसोरि नञि बैसब निच्चा
कपड़ा पोनहिं परसँ फटै छै
"नवल" बाँहि बाबूके पुड़तय
छै छोट मुदा ओ खूब खटै छै
*आखर-१२ (तिथि-१६.०८.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)
भूखल जे एक राइत सुतै छै
एक बगराके माउस घटै छै
नीक-निकुत नै परसन भेटय
तैं आंगुरलऽ सभ पात चटै छै
दै फऽर-फूल-छाहरि-आँक्सीजन
किएक लोक फेर गाछ कटै छै
गांड़ि घसोरि नञि बैसब निच्चा
कपड़ा पोनहिं परसँ फटै छै
"नवल" बाँहि बाबूके पुड़तय
छै छोट मुदा ओ खूब खटै छै
*आखर-१२ (तिथि-१६.०८.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)
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