रविवार, 16 सितंबर 2012

गजल

बाल गजल-१३

भूखल जे एक राइत सुतै छै
एक बगराके माउस घटै छै

नीक-निकुत नै परसन भेटय
तैं आंगुरलऽ सभ पात चटै छै

दै फऽर-फूल-छाहरि-आँक्सीजन
किएक लोक फेर गाछ कटै छै

गांड़ि घसोरि नञि बैसब निच्चा
कपड़ा पोनहिं परसँ फटै छै

"नवल" बाँहि बाबूके पुड़तय
छै छोट मुदा ओ खूब खटै छै

*आखर-१२ (तिथि-१६.०८.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों