गुरुवार, 27 सितंबर 2012

गजल

गजल-२५

उठय भाव जँ कोनो  करेजा के कोन सँ
ई मोन मिलिए जाय छै ककरो मोन सँ 

टाका तऽ छै जरुरी जिनगी के लेल मुदा
कीनल नञि जाय नेह चानीसँ सोन सँ 

तरलासँ घीमे आ मसल्ला देलासँ नञि
तीमनमे  सुआद तऽ होएत छै नॉन सँ

शहरी  सनक  चढ़ल  एना  गामे - गाम
सम्बन्ध टूटि रहल आब बाध - बोन सँ

प्रगति के गति  तऽ  पराधीन छै "नवल"
सभ  टहल - टिकोड़ा  कराबै छै जोन सँ    

*आखर-१५ (तिथि-२५.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों