शनिवार, 15 सितंबर 2012

गजल

बाल गजल-51

झटकिकेँ चलल बुचिया भरि अंगनामे
मीठ बाजै पयलिया भरि अंगनामे

आँखि चंचल दुनू काजर सजल कारी
माँथपर ठोप करिया भरि अंगनामे

चानकेँ रूप सूरजकेँ तेज देखू
ठोरकेँ रंग ललिया भरि अंगनामे


पकड़ि लै छै कते तितली पाँखि चाही
खाइ छै माँटि बुचिया भरि अंगनामे

दूधमे मीठ आ मुँहमे भात चाही
"अमित" छै मीत बछिया भरि अंगनामे

फाइलातुन-मफाईलुन-फाइलातुन
2122-1222-2122
बहरे-असम

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों