रुबाई-२
सभ गिरहत बनि बैसलै हर धरतै के
चाही सभके फऽर मेहनत करतै के
पड़ि गेल सुन्न गामक अंगना-दलान
सभ शहर जा बसलै घर ओगरतै के
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
*२२१/२१ (तिथि-१९.०९.१२)
सभ गिरहत बनि बैसलै हर धरतै के
चाही सभके फऽर मेहनत करतै के
पड़ि गेल सुन्न गामक अंगना-दलान
सभ शहर जा बसलै घर ओगरतै के
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
*२२१/२१ (तिथि-१९.०९.१२)
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