गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हजल

हजल-३

हौ दैव किएक विआह केलौं जिनगी अपन तबाह केलौं
भने छलहुं मस्तीमे मातल बूझि-सूझि कष्ट अथाह केलौं

कतेक अनोना कबूला पातरि कीर्तन आर नबाह केलौं
कनिआँ-कनिआँ रटि-रटिक' मोनके किएक बताह केलौं

आन्हर भेल छलौं नै सूझल की नीक कथी अधलाह केलौं
मधुघट पीबा केर चक्कर मे जिनगी खौलैत चाह केलौं

नरहोरि भेल बौआरहलौं करेजक कांच चोटाह केलौं
एहन हराहिसँ संग भेल जे अपनो के मरखाह केलौं

रहि-रहि मूँह फुलाबैथ ओ घुरि-घुरि हम सलाह केलौं
स'ख-श्रृंगार पुड़ाबय पाछू खटि-खटि देह अबाह केलौं

लेर खसल किए लड्डू लेल किएक मोन सनकाह केलौं
घर-घरारी लागल भरना जानिक' जिनगी बेसाह केलौं

खीर नञि ओ घोरजौर छलै मधुरिम मोन खटाह केलौं
देखि कतहु मउहक के थारी "नवल" अनेरे डाह केलौं

*आखर-२२ (तिथि-२७.०९.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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