गुरुवार, 1 मार्च 2012

गजलक इस्कूल भाग-3


गजलक एकटा पाँति दए रहल छी। जे केओ गोटे साँझ ७ बजे धरि पूरा करताह। हुनका इ पाँति रचनाक रूपमे सौंपि देल जेतन्हि। इ पाँति एना अछि-----

इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ

सरल वार्णिक बहर----13-वर्ण
· · · 16 January at 11:11

    • Nagendra Kumar Karna किया, हम हुनक बात नै मानलौं
      किया, हुनका एहन बात कहली
      मुदा, आब हायत कि पश्चाताप क
      जखन छुटि गेल छै बोलीक वाण ।

    • Ashish Anchinhar नीक पाँति अछि नागेन्द्र जी मुदा गजल लिखबाक निअम किछु अलग छै। प्रयास करैत रहू।..

    • मिहिर झा कोनो बाट नहि सुझाएत अहाँकेँ
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ

    • Ashish Anchinhar vah mihir bhai.. vah... sanche...

    • Nitesh Jha विरह हमर सताएत अहाँके इ बात बादमे बुझाएत अहाँके. ठुकरेलौ कियाक प्रीत हुनक गलती कएल सुझाएत अहाँके

    • Ashish Anchinhar विरह हमर सताएत अहाँके.
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँके

      ठुकरेलौ कियाक प्रीत हुनक
      गलती कएल सुझाएत अहाँके............................नितेश जी दोसर शेरकेँ पहिल पाँतिमे १२ टा वर्ण अछि... ओना भाव आ ट्रीटमेन्ट दूनू गजब।

    • Nitesh Jha जी ओ सही भा जेतैई

    • Nitesh Jha विरह हमर सताएत अहाँके,
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँके.

      ठुकरेलौ कियाक पिआर हुनक,
      गलती कएल सुझाएत अहाँके.

    • Ashish Anchinhar वाह, नितेश जी। एहिठाम हम मोन पाड़ए चाहब जे हरेक पाँतिमे निश्चित वर्ण देने जे बहर होइत छैक तकरा हम सभ सरल वर्णिक बहर कहैत छिऐक

    • Ira Mallick इ बात बाद मेँ बुझायत अहाँके,
      तखन इ बड्ड पीड़ायत अहाँके।
      बातक मर्म बुझु ते सब आसान,
      छोड़ू लाज अहाँ दुनियाँ जहान के।
      16 January at 13:36 via Mobile · · 5

    • Ashish Anchinhar इरा जी... एहि पाँतिकेँ काफिया छैक....आ स्वरक संग एत। आ रदीफ छैक अहाँकेँ। मुदा अहाँक जे दोसर शेर अछि ताहिमे ने रदीफ अछि ने काफिया.... कने धेआन देल जाए...

    • Ira Mallick आशीषजी!हम फेर सँ कोशीश करै छी।
      16 January at 13:59 via Mobile · · 1

    • Sanjay Mishra इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ /
      मन अहिक सम्झायत आहाके //
      बुझिबाई जे ,किया नई बुझलियै /
      हसाईत-हसाईत , कनाईत आहाके //
      पछत्या ल्या सउसे सदी द् क /
      बित् गेल उ पल एक सुख द् क //
      उरैत निंद आ बहैत नोर सब /
      फेर स ओ दिन ल जायत आहाके //
      बुझिबाई जहिया ओ कि कहिगेल /
      अद्रिस्य भ मन मे कि रहिगेल //
      दुनिया स जहिया तंग भ जायब /
      अहिक मन खौज्हायत आहाके //
      ई बात ज यादमे आयत आहाके //
      हसाईत-हसाईत , कनाईत आहाके /

    • Ashish Anchinhar आब नीक प्रयास अछि संजय जी। धीरे-धीरे अहूँ नीक गजल लिखब से आशा अछि

    • Ruby Jha इ बात बाद में बुझाएत अहाँकेँ,
      प्रीत ज्यूँ हमर सतायेत अहाँकेँ,
      बिरह अग्नि जखन जरायेत,
      तखन हम याइद आएब अहाँकेँ,
      जेना हमर प्रीत अहाँ ठुकरेलो,
      पिआर किओ ठुकरयेत अहाँकेँ,
      जखन तकब हमर बाट अहाँ ,
      तखन नोर झरी जायेत अहाँकेँ,
      इ बात बाद में बुझाएत अहाँकेँ.

    • Sanjay Mishra जिबन मे सायद पहिल प्रयास आछी , आहक प्रेरणा स आर निक करबाक आस अछि....

    • Ashish Anchinhar रुबी जी कविताके रुपमे ठीक अछि मुदा गजलके रुपमे नै।.... एक बेर आर प्रयास करिऔ..

    • Nitesh Jha विरह हमर सताएत अहाँके,
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँके.

      ठुकरेलौ कियाक पिआर हुनक,
      गलती कएल सुझाएत अहाँके

      जहिना हमर इ प्रीत मिझाएल
      करेज कियो झरकाएत अहाँके

      मधुकुसुम बनि एना नहि घूमूँ,
      भमर बहुते सताएत अहाँके.

      हाथ धरै लेल बहुते ठाढ़ छैथ
      "रौशन" सित इ सजाएत अहाँके

    • Ashish Anchinhar वाह, करेजा जुड़ा गेल.... नितेश जी आब हरेक गजल मे एनाहिते वर्णक संख्या एकसमान राखब। एहि पद्धतिसँ जल्दिये अरबी बहर सीखि सकैत छी।

    • Nitesh Jha जी कोशिश करबै

    • Nitesh Jha अहि में कोनों गलती छैक कि सेहो बतायब आशीष अनचिन्हार जी

    • मिहिर झा कोनो बाट नहि सुझाएत अहाँकेँ
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ

      एखन छी बेहोश नशा जवानी मे
      ग़लती आजुक कनाएत अहाँकेँ

      प्रेमक दर्द होएत छै जानलेवा
      जिनगी भरि ई नचाएत अहाँकेँ

      नहि जॉं पडब एहि मायाजाल मे
      असगरपन सताएत अहाँकेँ

      ई प्रेम छी बुझु दिल्ली केर लड्डू
      रूप एकर ललचाएत अहाँकेँ

    • Ashish Anchinhar एखन छी बेहोश नशा जवानी मे
      ग़लती आजुक कनाएत अहाँकेँ............... sahi aakalan... vah

    • Anil Mallik इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ
      इ बात बाद मे लजाएत अहाकें

      इजोत देखाक अन्हार क देलिएै
      पश्चाताप देखू जराएत अहाकें

      कुहेश'क परदा छटत जखनि
      आंखिक नोर ने सुखाएत अहाकें

      आस देखा'क जे आस तोडि देलिएै
      खुशी साँच मानू हराएत अहाकें

      सुतल रहै जे तकरा ने जगेबै
      बहन्ना मे छी के उठाएत अहाकें

      ओस चटने कहिं पियास मरै छै
      इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ

    • Nitesh Jha bahut neek anil ji aa mihir ji

    • Nitesh Jha muda misra kinko bhetlai ki nai hahhahahahhahha

    • Anil Mallik इ पाँति रचनाक रूपमे के प्राप्त कयलथि?

    • Ashish Anchinhar Anil Mallik---आ सभ पहिनुकाँ समयमे समस्यापूर्ति नामक खेल होइत छलै साहित्यमे। एकर मतलब होइत छै जे कोनो एकटा शब्द वा वाक्य वा वाक्यांश वा पाँति दिऔ आ तकरा कविजी सभ अपन-अपन रचनामे एना फिट करथि जे ओ सार्थक अर्थ प्रदान करै। आब एहि खेलमे अनेको कविजी सभ भाग लेथि मने अनेको रचना आबै मुदा सभहँक रचनामे समस्यापूर्ति बला शब्द वा वाक्य वा वाक्यांश वा पाँति समान रूपे रहैत छलै। मने समस्यापूर्ति बला शब्द वा वाक्य वा वाक्यांश वा पाँति सार्वजनिक संपति भेल। रौद आ बसात जकाँ । मने समस्यापूर्ति बला शब्द वा वाक्य वा वाक्यांश वा पाँति पर एकाधिकार किनको नै होइत छन्हि।..

    • Ashish Anchinhar आ एकटा समस्यापूर्ति संचालककेँ रूपमे हम अपन इ नैतिक दायित्व पूरा करैत छी जे जाहि पाँतिकेँ समस्या लेल आन कविजी सभकेँ देल जाइत छन्हि ताहि पर हम अपने गजल वा शेरो-शाइरी नै लिखैत छी।..

    • Ashish Anchinhar अनिल जी आर जँ कोनो प्रश्न हुअए तँ पूछि सकैत छी।.



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