गुरुवार, 1 मार्च 2012

गजल

गाम'क हटिया ऊ खजन चिडैया, फेरो छोडि अयलहूँ हम
बाट चौबटिया ऊ साथी सङ्गतिआ, फेरो छोडि अयलहूँ हम

बिन चप्पल चली आरि धूरी, हरवाहा सॉ होरी'क गीत सुनी
बाँझ पडल छल सिनेह'क खेत, फेरो जोति अयलहूँ हम

आस मे फेरो कटत बरख, गाम पोखरि बड्ड यादि पडत
रहत मिठास तैं चासनी मे, मोन फेरो बोरि अयलहूँ हम

ठूठ गाछ भ'रहल जिनगी, मोन'क पात भेल पिअर छल
सजल रहब तैं इआद'क फूल, फेरो लोढि अयलहूँ हम

जीवन सङ्गीत छल बेसुर, ताल मात्रा सभ बहकल छल
मोन बीणा'क छल तार जे टूटल, फेरो जोडि अयलहूँ हम

तन के सोचु की मोन के सुनु, मोस्कील मे केहन जान फसल
नोर'क पानि मे होरी'क रङ्ग, बुझू फेरो घोरि अयलहूँ हम

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों