फूल डे पर एकटा हजल
उलटा काज क बड़का देल हँसी ,
अपने सँ मुर्ख बनल भेल हँसी ,
मुर्खता सँ मरखाह बकलेल हँसी ,
करिया लग सभहक फेल हँसी ,
दौड़ला खसला भेल अलेल हँसी ,
"अमित ".लगायत आइ सेल हँसी ,
किनको सँ उधार लेल गेल हँसी ,
उलटा काज क बड़का देल हँसी ,
करिखा - चुना लगा अपने मुंह में ,
अपने सँ मुर्ख बनल भेल हँसी ,
गदहा क भैया बनेलनि आइ ओ ,
मुर्खता सँ मरखाह बकलेल हँसी ,
कोयला लगा मंदिर धरि दौड़ला,
करिया लग सभहक फेल हँसी ,
बजेलक जजमान पूजा के लोभ ,
दौड़ला खसला भेल अलेल हँसी ,
हाथ उठाऊ जे पैघ विद्वान छी से ,
"अमित ".लगायत आइ सेल हँसी ,
अमित मिश्र ,
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