बुधवार, 4 अप्रैल 2012

गजल

गजल-५

एक नजरि हुनकर पड़लय जे, हमरा पाँज स ससरल मोन
दू क्षण लै भसियेलई जे से, एखनो धरि नै सम्हरल मोन

कात - करोटे ताकी हुनके, चारु दिश छई पसरल मोन
सखी-बहिनपा में ओझरायल, देख का हुनका पजरल मोन

आंचरि हुनके ताईक रहल, जिनका कन्खी सँ कचरल मोन
सभ कतरा में प्रेमक-पोखरि, सरस ऐना भेल कतरल मोन

मधुरिम आंखि सँ नेह पीब क, नेह-धरा पर चतरल मोन
हुनकर नेहक अचल मेह सँ, स्नेह-लता बनि लतरल मोन

बाट - बाट स्वागत के सेहन्ते, अलकतरा बनि पलरल मोन
स्पर्श पाईब क पैरक हुनकर, मधुर छुअन सँ सिहरल मोन

हुनका अबिते कोयली कुह्कल, बनि क फगुआ मज
मोन

छोइड़ गेली ओ विरहाक रौदी, जड़ल-पाकल झखड़ल मोन

प्रेमक पोखरि ल छपकुनिया, धिया - पुता सन उमरल मोन
स्वप्न लोक में हरा-भूता क, भूख-प्यास सभ बिसरल मोन

गोह्न्छल-लोह्छल भेल मलीन, कखनो पित्ते अकरल मोन
तैयो भूखल स्नेह - दुलारक, नई दुलार सँ अभरल मोन

मुदा आब त गप्पे दोसर, धन के कोरा नमरल मोन
अई कलयुगिया कारी युग में, भावहीन भ भखरल मोन

सुख-सुविधा सँ नेहक परितर, दुःख-दुविधा सँ हहरल मोन
"नवल" प्रेम केर करुण दशा ई, देख कष्ट सँ कहरल मोन

©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-०३.०४.२०१२)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों