की कहौँ कोना कहौँ किए कहौँ कते कहौँ ,
ककरो कुलटा कहि क' कान किए काटौँ ,
ककरो कर्म के कारी कहि क' किए कानौँ ,
भयानक भाव-भंगीमा देख किए भागौँ .
एक डेग अहूँ चलू त' किछ हम करौँ .
तखन ताल तबला पर सुन्नर गाबौँ ,
कादो मे कमल खिलबै लेल संग चलौँ ,
अपने समाज छै समने "अमित " लड़ौँ . . . । ।
अमित मिश्र
ककरो कुलटा कहि क' कान किए काटौँ ,
ककरो कहू , की कारी काज कम करत ,
ककरो कर्म के कारी कहि क' किए कानौँ ,
भोर भेलै भोरहरीये मे भूत भागै छै ,
भयानक भाव-भंगीमा देख किए भागौँ .
एकसर किए करौँ , की हमरे कर्तव्य ,
एक डेग अहूँ चलू त' किछ हम करौँ .
तोड़ियौ तराजू तौलै यै जे पैघ-छोट के ,
तखन ताल तबला पर सुन्नर गाबौँ ,
दहेज , जातीवाद , भ्रूण-हत्या , अंध प्रथा ,
कादो मे कमल खिलबै लेल संग चलौँ ,
क' कसम कफन कारी बान्हि चलू रण ,
अपने समाज छै समने "अमित " लड़ौँ . . . । ।
वर्ण-15
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें