गजल-५१
रोटी महग, महगे नून भेलछै
बोटी सुलभसस्ता खून भेल छै
सौँसे शहरसहसह लोक गज्जले
गामक दलानो-घरसून भेल छै
प्रगतिक पथभ्रष्टाचार अड़ल छै
नेता समाजकजनु घून भेल छै
खेती करय जेसे दीन भेल छै
बइमान बेपारीदून भेल छै
करनी अपन नहिदेखैत लोक छै
"चंदन"फुसिकखातिर खून भेल छै
२२१२ २२२१ २१२
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