सोमवार, 18 जून 2012

गजल



गजल-८

काजरसँ शोभा आँखिक की आंखिसँ शोभित काजर
करिया जादू सँ केलक सभके सम्मोहित काजर

नजरि नञि ककरो लागय जादू - टोना छू - मंतर
डायनो-जोगिन के केलक मोन के मोहित काजर

अपना नजरि ने लागै की लेती प्राण अनकर
फँसल मोन दुविधा में ई देख अघोषित काजर

सम्हारल जेतै कोना क ई भाव करेजक भीतर
परसै प्रणय - निवेदन नैन नवोदित काजर

ई मेघो देखि लाजयल जे कारी खट-खट काजर
"नवल" कलंकक सोझा भ गेल अलोपित काजर

***आखर-१९
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
१७.०६.२०१२)



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