अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
गुरुवार, 7 जून 2012
रूबाइ
29
कपड़ा की देखै छी ग्यान देखू ने
दोसरक नै सूनियौ कान देखू ने
कादो मे कमलक मुस्की फूटै त' छै
भेल गरीब मुदा श्रमदान देखू ने
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