हमर मुस्की सँ हुनका आगि लागल यौ
हुनक कनखी सँ त'रका आगि लागल यौ
चुनावक गीत भाषण भरल झूठक छै
अपन मुँह कहब किनका आगि लागल यौ
उखाड़ब लाश गड़लाहा हमर मरजी
अहाँ बाजब त' बड़का आगि लागल यौ
नगर मे बनल मुद्दा भ्रूण हत्या छै
इ वर्फक सर्द मटका आगि लागल यौ
कहत भोरे द' पेट्रोलक समाधी ओ
जड़ल छाउर सँ रतुका आगि लागल यौ
दुखाइत नस अपन हाथे त' नीके छै
पड़ल दोसर सँ पटका आगि लागल यौ
मिझा देलौँ पहिल सब आगि घी ढारिक'
"अमित" छै फेर नवका आगि लागल यौ
मफाईलुन
1222 तीन बेर सब पाँति मे
बहरे -हजज
अमित मिश्र
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