गजल
अपन अपनेके लड़बै छै
नेत अपने पर डोलबै छै
जे कानै छै देखार भ' जग मे
हँसै वला के वैह कनबै छै
कलमक ताकत जुनि पूछू
हंगामा त' इएह करबै छै
जेकर दिल मे अहाँ बसलौँ
करेजक खून ओ करबै छै
देखाइ नै दै छै जे सूक्ष्म जीव
बिमरियाह वैह बनबै छै
भरोसा करब ककरा पर
भरोसे वला होश उड़बै छै
आत्मा मे परमात्मा बसै छथि
आब आत्मो वेवफा कहबै छै
नै चिन्हार छै जग मे "अमित"
कोसी माँ अपनेके दहबै छै
वर्ण- 11
अमित मिश्र
अपन अपनेके लड़बै छै
नेत अपने पर डोलबै छै
जे कानै छै देखार भ' जग मे
हँसै वला के वैह कनबै छै
कलमक ताकत जुनि पूछू
हंगामा त' इएह करबै छै
जेकर दिल मे अहाँ बसलौँ
करेजक खून ओ करबै छै
देखाइ नै दै छै जे सूक्ष्म जीव
बिमरियाह वैह बनबै छै
भरोसा करब ककरा पर
भरोसे वला होश उड़बै छै
आत्मा मे परमात्मा बसै छथि
आब आत्मो वेवफा कहबै छै
नै चिन्हार छै जग मे "अमित"
कोसी माँ अपनेके दहबै छै
वर्ण- 11
अमित मिश्र
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