प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
नजरि उठा क' देखबै तँ खाली बुझाएत ई दुनियाँ
नजरि गरा क' देखबै तँ सभ देखाएत ई दुनियाँ
अहाँ केखनो नै करू सवारी दू नाहक एकै बेरमे
जँ करबै तँ बाबूबिच्चे धारमे डुबाएत ई दुनियाँ
संगतुरियाकेँ दबेबाक पाप भरल अछि मोनमे
जानू केखनो अन्हरियामे धकेलि आएत ई दुनियाँ
ऐ ठाम भ्रष्टाचारीक केर नेतमे खोट अछि सदिखन
आब तँ कहियो एकर कुर्सी पलटाएत ई दुनियाँ
आखर-----20
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