अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
मुखपृष्ठ
अनचिन्हार आखरक परिचय
गजल शास्त्र आलेख
हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
भजनपर गजलक प्रभाव
अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
समीक्षा/आलोचना/समालोचना
गजल सम्मान
गजलकार परिचय शृखंला
गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
विश्व गजलकार परिचय शृखंला
छंद शास्त्र
कापीराइट सूचना
अपने एना अपने मूँह
गजलक इस्कूल
गजलकार
अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
आन-लाइन मोशायरा
आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
Maithili Ghazal Books Download
शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
रूबाइ
रूबाइ - 85
बिनु पानिक माँछ जकाँ तड़पैत जनता
देखब सगरो नोर बिनु कानैत जनता
ओ बैसल ए .सी मे करै घोटाला
घामक वर्षासँ खेत पटबैत जनता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें