मंगलवार, 31 जुलाई 2012

गजल

बाल गजल

खा ले रे बौआ दूधे भात
देबौ हम काल्हि व्यंजन सात

माछी छौ कौआ देतौ चोँच
देने छीयौ केला के पात

देबौ खेलौना साँझे आनि
मानेँ रे सोना हमरो बात

देखै छौ हजमा तोरे देख
देबौ लड्डू चल ने एकात

नै खेबेँ लागत बड़का पाप
रे नै हेतै दूधक बरिसात

खा बनलेँ बढ़ियाँ बौआ "अमित"
फेरो हम देबौ दूधे प्रात

22-222-2221

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों