अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
मंगलवार, 31 जुलाई 2012
गजल
भेलै मुड़न जेठका के
सब संग मे छोटका के
छै केश जनमे बला ते
छीलल बहिन मेनका के
नानी पठेलखिन कपड़ा
काजर सजल टोटका के
बाजा बला पाइ माँगै
हजमा कहै मोटका के
छै भोज मे पाँति लागल
पत्ता भरल पतरका के
मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2212-2122
बहरे-मुजास
अमित मिश्र
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