बाल गजल
पूर्णिमा मेला ऐलए गे माँ
मेला देखऽ हमहुँ जेबए गे माँ
इस्कुल मे सेहो छुट्टी देलकए गे माँ
दोस-मीत मेलाक ओरिओन कैलकए गे माँ
बड़की दैया के संग लऽ लेबए गे माँ
दाए-बाबा के सेहो कहि देबए गे माँ
गामक कतेक लोक मेला चलतए गे माँ
काका-काकी आ बौआ सेहो तैयार भेलए गे माँ
मेला गाम सँ दुर लगए गे माँ
पैरे-पैर नए, तोरा कोरा मे बैठबए गे माँ
मेला मे बड़ भीड़ लगलए गे माँ
आँगुर तोहर धरने रहबए गे माँ
खुब जतन सँ मेला देखबए गे माँ
"शिकुया" घिरनी-मिठाइ-झिल्ली कीनबए गे माँ
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