रविवार, 29 जुलाई 2012

गजल

बाल गजल-८

आमक गाछपर झूला लगाएब ना
अपनों झूलब सभके झुलाएब ना

ने केरा डम्फोरि आ ने लत्ती मोटगर
सउन बाँऽटिकऽ जउड़ बनाएब ना

कखनहुं ऊंचगर निच्चा कखनहुं
झूले संग हमहुँ आएब-जाएब ना

खसतय गोपी धऽपर -धऽपर- धप
झूला के बहन्ने ठाईढ डोलाएब ना

झगड़ा नञि हेतै कियो बीछय गोपी

हम सभ संगी मिल-जुलि खाएब ना

कसि-कसिकऽ आर झूलाबय हमरा
ऊँचगर जा हम चान के पाएब ना

ठाढ़ि ओदरलय टुइट गेल झूला

"नवल" चट सभ दौड़ पड़ाएब ना


*आखर-१४ (तिथि-१४.०७.२०१२)

©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों