बाल गजल-८
आमक गाछपर झूला लगाएब ना
अपनों झूलब सभके झुलाएब ना
ने केरा डम्फोरि आ ने लत्ती मोटगर
सउन बाँऽटिकऽ जउड़ बनाएब ना
कखनहुं ऊंचगर निच्चा कखनहुं
झूले संग हमहुँ आएब-जाएब ना
खसतय गोपी धऽपर -धऽपर- धप
झूला के बहन्ने ठाईढ डोलाएब ना
झगड़ा नञि हेतै कियो बीछय गोपी
हम सभ संगी मिल-जुलि खाएब ना
कसि-कसिकऽ आर झूलाबय हमरा
ऊँचगर जा हम चान के पाएब ना
ठाढ़ि ओदरलय टुइट गेल झूला
"नवल" चट सभ दौड़ पड़ाएब ना
*आखर-१४ (तिथि-१४.०७.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
आमक गाछपर झूला लगाएब ना
अपनों झूलब सभके झुलाएब ना
ने केरा डम्फोरि आ ने लत्ती मोटगर
सउन बाँऽटिकऽ जउड़ बनाएब ना
कखनहुं ऊंचगर निच्चा कखनहुं
झूले संग हमहुँ आएब-जाएब ना
खसतय गोपी धऽपर -धऽपर- धप
झूला के बहन्ने ठाईढ डोलाएब ना
झगड़ा नञि हेतै कियो बीछय गोपी
हम सभ संगी मिल-जुलि खाएब ना
कसि-कसिकऽ आर झूलाबय हमरा
ऊँचगर जा हम चान के पाएब ना
ठाढ़ि ओदरलय टुइट गेल झूला
"नवल" चट सभ दौड़ पड़ाएब ना
*आखर-१४ (तिथि-१४.०७.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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