रविवार, 29 जुलाई 2012

गजल

गजल-१९

मंच परमे अनेरे धमकला सँ की
बहीरक समूहमे बमकला सँ की

पैंच लइयोकऽ चान बंटै छै इजोत
हीराके बन्न तिजौरी चमकला सँ की

कर्मठ के काया लेढायलो तऽ कंचन
निठल्लाके सजि-धजि छमकला सँ की

स्वभावक सुगंध आकर्षित करय
गुलाबजलसँ नहाऽ गमकला सँ की

क्रांति के धार बनिकऽ बहबै "नवल"
डबरा बनिकऽ कतौ ठमकला सँ की

***आखर-१४
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि : २७.०७.२०१२)

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