अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शनिवार, 14 जुलाई 2012
गजल
पाकल पियर पियर केरा
खाएत सब मीठ पेड़ा
खाजा मिठाई जिलेबी
बौआ भरल छै चगेँरा
मुँह मोर राजाक सुन्नर
चन्ना लजा गेल डेरा
डाँरक त' घुँघरु छनकलै
लेलक जखन घरक फेरा
माएक ओ करत सेबा
फाड़त "अमित" खूब चेरा
मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2212-2122
बहरे मुजस्सम
अमित मिश्र
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