रविवार, 29 जुलाई 2012

गजल

बाल गजल-७

संचमंच भऽ रह्बौ सदिखन आब नै करबौ हुलहुल गै
मोन लगा कऽ पढ़बौ देखिहन्हि जेबौ सभ दिन इसकुल गै

संगी संगे हिल - मिल रहबै पैघ के सभटा कहल करबै
कान पकड़लौं आब ने करबौ बदमाशी हम बिलकुल गै

खाय-काल नकधुन्नी केलहुं तैं लटि कऽ हम एहन भेलहुं
डाँड़ सँ पेंटो सर-सर ससरल अंगो होई छै झुलझुल गै

सागो खेबय सन्नो लेबय आब नै कखनो मुंह बिचकेबय
परसन देऽ तीमन - तरकारी दालि दे आरो दू करछुल गै

दूध पीबि हम सुरकब दही खूब खेबय खाजा-पनतोआ
तइ परसँ हम आमो खेबऊ पीयर-पाकल गुलगुल गै

देह्गर-दशगर संगी-तुरिया हमरा आंइख देखाबै जे
कसरत करबै देह बनेबै करतै डरे ओ छुलछुल गै

आशीर्वचन तोहर अमृत सन आँचरि आँगन ममता के
राजा बेटा "नवल" तोहर माँ चहकत बनि
कऽ बुलबुल गै
 

*आखर-२३(तिथि- १२.०७.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों