सोमवार, 30 जुलाई 2012

गजल






बाल-गजल-१४

भोर भेलै शोर भेलै

काँचे निन्न खोर भेलै


माघ मास शीत जल

दहो-बहो नोर भेलै


काँट कंठ मे गड़लै

भोग नहि झोर भेलै


भैंस भेलै पारी तरे

छाल्ही डाढ़ी घोर भेलै


थारी बाटी पिटैत छै

माय मोन घोर भेलै

---वर्ण-८----

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों