डेग हमर छोट एखन लछ्य बहुत दूर अछि
नापि लेबै सफलताक बाट मेहनतिसँ बुझै छी
केतबो बाधा एतय बाटमे ढकेलि आगू बढ़बै
मनमे जँ ठानि लेलौँ फेर पाछु मुड़ि नहि सकै छी
मिथिलाक गौरवगाथासँ कहाँ कियौ अनजान छै
छलै कहियो दिव्य मिथिला एखन तँ माटि फकै छी
खूब पढ़ि आगू बढ़बै देशक हित काज करबै
स्वर्णिम मिथिलाके सपना अपन आँखिमे तकै छी
मिथिला अछि सुँदर ठोप भारतक ललाट केर
विश्वमे सम्मानित हो से भगीरथ प्रयास करै छी
(वर्ण -19)
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