रविवार, 1 जुलाई 2012

गजल




गजल-५८

कथिले अहाँ हमरा सं घुंघटा में मुह नुकौने छि गोरी
हम तं अहाँक दीवाना अहिंक दिल में बसौने छि गोरी

कने घुंघटा उठा दिय आ चान सनक मुह देखा दिय
मधुर मिलन केर वेला में किएक तरसौने छि गोरी

वित् जाएत अनमोल राति मिझ जाएत दिया के वाती
फेर सुहागराति अहाँ नखरा किएक देखौने छि गोरी

"प्रभात" के सब्र बान्ह आब टुटल जारहल अछि गोरी
लाजक चादर ओढ़ी हमरा किएक तडपौने छि गोरी

वर्ण-21.
रचनाकार- प्रभात राय भट्ट

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों