सोमवार, 30 जुलाई 2012

गजल





बाल-गजल-१३(विदेह ई पाक्षिक)

पकड़ि के दाबा चलइ छै

खने ठेहुनियाँ भरइ छै


मधुर सनके बोल लागै

जखन माँ-पप्पा बजइ छै


चढ़िकऽ छाती पर कका केँ

भभा के लगले हँसइ छै


सुगा मैना जखन बाजय

सुनिकऽ थपड़ी पिटइ छै


मनोरथ सभटा पुरौतै

बइस के चंदन गुनइ छै

---------वर्ण-१०-------
१२२२ २१२२

बहरे-मजरिअ

ई हमर पहिल अरबी बहर आधारित बाल-गजल अछि से हमराअपनो कने झुझूआन लगैत अछि ....मुदा अपने सभसँ

विस्तृत प्रतिकृयाक आस धरौने छी.

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों