बाल-गजल-१३(विदेह ई पाक्षिक)
पकड़ि के दाबा चलइ छै
खने ठेहुनियाँ भरइ छै
मधुर सनके बोल लागै
जखन माँ-पप्पा बजइ छै
चढ़िकऽ छाती पर कका केँ
भभा के लगले हँसइ छै
सुगा मैना जखन बाजय
सुनिकऽ थपड़ी पिटइ छै
मनोरथ सभटा पुरौतै
बइस के चंदन गुनइ छै
---------वर्ण-१०-------
१२२२ २१२२
बहरे-मजरिअ
ई हमर पहिल अरबी बहर आधारित बाल-गजल अछि से हमराअपनो कने झुझूआन लगैत अछि ....मुदा अपने सभसँ
विस्तृत प्रतिकृयाक आस धरौने छी.
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