बाल गजल
कारी महिस के दूध उज्जर छै कते
भरि मोन पारी पीबि दुब्बर छै कते
रसगर जिलेबी गरम नरमे नरम छै
लड्डू बनल बेसनक बज्जर छै कते
छै पात हरियर फूल शोभित गाछ छै
जामुन लिची आमक इ मज्जर छै कते
दू एक दू आ चारि दूनी आठ छै
अस्सी कते नै जानि सत्तर छै कते
भालू बला देखाब' सबके नाँच हौ
झट आगि छड़पै दौड़ चक्कर छै कते
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे रजज
अमित मिश्र
कारी महिस के दूध उज्जर छै कते
भरि मोन पारी पीबि दुब्बर छै कते
रसगर जिलेबी गरम नरमे नरम छै
लड्डू बनल बेसनक बज्जर छै कते
छै पात हरियर फूल शोभित गाछ छै
जामुन लिची आमक इ मज्जर छै कते
दू एक दू आ चारि दूनी आठ छै
अस्सी कते नै जानि सत्तर छै कते
भालू बला देखाब' सबके नाँच हौ
झट आगि छड़पै दौड़ चक्कर छै कते
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे रजज
अमित मिश्र
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