| गजल-१५ |
| धऽ जे नांगरि चलल अगुआएल जाय छै |
| छलै अगुआ जे सैह पछुवाएल जाय छै |
| क्षण-दू-क्षण लेल जे काज लसियेलै कोनो |
| अहिना दिने -दिन आर बसिएल जाय छै |
| जकरा बूइध में छलईयै वियैधि धेने |
| आब बुइधिए सँ ओहो खियाएल जाय छै |
| पहिने दूधो - दही के नञि नपना छलय |
| आब नापिए क पाइनो पियाएल जाय छै |
| कंठ लागल धिया मांग अनुचित रहय |
| बेटा बेचै लय बोगली सीयाएल जाय छै |
| तौला जाधरि भरल ताऽ तऽ सुरसुर केलौं |
| आब जोड़ण लै टोल छिछियाएल जाय छै |
| मूंह देखिये कऽ मुंग्बा बाँटय केर चलन |
| एत भेटै नै किछु सभ दियाएल जाय छै |
| मोन सखुआ में लागल कुसंगत के घून |
| किछु निरोगो जे छल बझियाएल जाय छै |
| कतउ आंचे नञि छै हेतय इनहोर की |
| कतौ धधरा ततेऽ जे उधियाएल जाय छै |
| कामधुन में "नवल" सुध छै ककरो कहाँ |
| आब जोशक लहरि भंसियाएल जाय छै |
| --- वर्ण- १६ --- |
| (सरल वार्णिक बहर) |
| ©पंकज चौधरी (नवलश्री) |
| (तिथि-२७.०६.२०१२) |
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रविवार, 22 जुलाई 2012
गजल
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पंकज चौधरी (नवलश्री)
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