शनिवार, 28 जुलाई 2012

गजल

बाल गजल


भोरे उठि मैदान गेलै बौआ
ओम्हरहिसँ दतमनि तँ लेतै बौआ

पोखरिमे नीकसँ नहेतै धोतै
चिक्कन चुनमुन बनि क' एतै बौआ

सरिएतै पोथी पहिरतै अंगा
इस्कूलो खुब्बे तँ जेतै बौआ

नै रखतै दोस्ती खरापक संगे
पढ़ि बड़का डाक्टर तँ बनतै बौआ

सभहँक करतै मदति सोना बेटा
सदिखन नीके बाट चलतै बौआ



हरेक पाँतिमे दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों