बिनु पानिक नाउ चलाएब हम
बिनु चक्काक गाडी बनाएब हम
हमर मोन में तँ जेँ किछु आएत
बिन सोचने सभ सुनाएब हम
अपन ब्याह में हम नहि जाएब
सराध दिन बजा बजाएब हम
कनियाँ केँ लय ओकर नैहर सँ
सासुर सँ खूब कतियाएब हम
'मनु' मन चंचल टोनए सभकेँ
केकरो हाथ नै घुरि आएब हम
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)
जगदानन्द झा 'मनु'
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