अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
सोमवार, 30 जुलाई 2012
गजल
प्रस्तुत अछि क्रांति कुमार सुदर्शन जीक ई बाल गजल ( ऐमे व्याकरणक कमी छै, मुदा शाइर नव छथि आ उम्मेद अछि जे आगू ई आर बेसी नीक लिखता )
एखन देख'मे छोट लगै छी
तैयो कछुआ चालि चलै छी
पएर हमर डगमग करैए
तैयो हम नभ-चान देखै छी
बोली हमर क क ट ट प प
तैयो महान बनब से स्वपन देखै छी
बहुत दूर अछि दिल्ली
अमेरिकाक नाम सेहो सुनै छी
चढ़ब हम चान आ मंगल पर
आब कहू की हम अँहासँ कम लगै छी
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