अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
सोमवार, 30 जुलाई 2012
गजल
प्रस्तुत अछि जवाहर लाल काश्यप जीक ई बाल गजल ( ऐमे व्याकरणक कमी छै, मुदा शाइर नव छथि आ उम्मेद अछि जे आगू ई आर बेसी नीक लिखता )
खसलै पर नहिं कनलै बौआ
खसलै पर फेर उठलै बौआ
हाथ पकडि चललै बौआ
हाथ छोडि क चललै बौआ
अपने पैर पर दौडलै बौआ
चान के छू लेलकै बौआ
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