रविवार, 22 जुलाई 2012

गजल



पंखी लगा उड़ि जाएब आकाश मे
बनि कोइली हम गाएब नव भास मे

नै जो पढ़ाबै के लेल इस्कूल माँ
तू जाइ छेँ बदलै घर त' वनवास मे

बाबा अपन खैनी खाइ छथि क'ह किए
की छै मजा जे बाबू रमल ताश मे

हम बीच आँगन एगो बनेबै महल
सोना बहुत उपजेबै अपन चास मे

खरहा पकड़ि रोटी चाह देबै "अमित"
एतै मजा बानर के सफल रास मे

मुस्तफइलुन-मफऊलातु-मुस्तफइलुन
2212-2221-2212

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों