शनिवार, 21 जुलाई 2012

गजल



गजल

हम घाट घाट के जानि रहल
हम राह बाट ठेकानि रहल

सबतरि लोक बेहाल छलय
बस सब के सब कानि रहल

लोक प्रकृति संग खेल करय
झरकत से नहि जानि रहल

डाढल अछि लोक समाज ऐना
दिन राति कोनाहूँ गानि रहल

ऐंठल जून्नी सन बात करय
ककरो कहल नै मानि रहल

संज्ञान लियह सब मिलि मीता
ज्ञानी सब याह हकानि रहल


(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १२)

राजीव रंजन मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों