शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

गजल

बाल गजल

बौआ पानि बरसै कखन
फाटै जखन मेघक वसन

नाचै मोर बजबै ढोल
गाबै कोइली नव भजन

हरियर गाछ फूलाएत
देता रौद दिनकर जखन

खरहा तखन जीतत दौड़
आलस छोड़ि काजे मगन

छै एरोपलेनक आश
पढ़ि लिख लिअ त' चानो अपन

धरती के बसेलनि राम
भोरे भोर करियौ नमन

आँङुर पकड़ि बढ़बै डेग
राखू "अमित" खुजले नयन

मफऊलातु{2221} दू बेर सब पाँतिमे

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों