मए नहि चरबै लए गाए जेबौ हम
पठा हमरा इस्कूल कोपी पेन लेबौ हम
अपन भाग्य आब हम अपने सँ लिखबौ
कुकूर जकाँ नै माँडे तिरपीत हेबौ हम
रोगहा-रोगहा सभ कियो कहए हमरा
एक दिन बनि डाक्टर रोग हरेबौ हम
टूटल- फूटल अपन फुसक घर तोरि
सुन्नर सभ सँ पैघ महल बनेबौ हम
हमरा कहैत अछि 'मनु' मुर्ख चरबाहा
पढि कए सभ चरबाहा केँ पढेबौ हम
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १६)
जगदानन्द झा 'मनु'
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