गजल-१७
लोकतंत्र में लोकेके सरकार होएत छैऽ
सभसँ पैघ शक्ति मताधिकार होएत छैऽ
कर्तव्यके सेहो तऽ सभ बखरा लगा लियऽ
संविधानमें छुच्छे नै अधिकार होएत छैऽ
आरक्षणक ई मांग ओकरे छजैत छैक
बुइधसँ शरीरसँ जेऽ लाचार होएत छैऽ
भेल तीत फर तऽ दोख गाछे केर कियैक
योगी-वैद्द्य घर में सेहो बीमार होएत छैऽ
प्रेमक पुछारि होइत किराना दोकान में
आब एहनो गैंहकी आ पैकार होएत छै
काल संग नै चलल से कालातीत भऽ गेलै
काल संग जेऽ चलय कलाकार होएत छैऽ
ईरखक घमासान छै झटकारिकऽ चलू
"नवल" डेऽगेऽ-डेग पलटवार होएत छैऽ
***आखर-१६
सरल वार्णिक बहर
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-२१.०७.२०१२)
लोकतंत्र में लोकेके सरकार होएत छैऽ
सभसँ पैघ शक्ति मताधिकार होएत छैऽ
कर्तव्यके सेहो तऽ सभ बखरा लगा लियऽ
संविधानमें छुच्छे नै अधिकार होएत छैऽ
आरक्षणक ई मांग ओकरे छजैत छैक
बुइधसँ शरीरसँ जेऽ लाचार होएत छैऽ
भेल तीत फर तऽ दोख गाछे केर कियैक
योगी-वैद्द्य घर में सेहो बीमार होएत छैऽ
प्रेमक पुछारि होइत किराना दोकान में
आब एहनो गैंहकी आ पैकार होएत छै
काल संग नै चलल से कालातीत भऽ गेलै
काल संग जेऽ चलय कलाकार होएत छैऽ
ईरखक घमासान छै झटकारिकऽ चलू
"नवल" डेऽगेऽ-डेग पलटवार होएत छैऽ
***आखर-१६
सरल वार्णिक बहर
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-२१.०७.२०१२)
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