रविवार, 29 जुलाई 2012

गजल

गजल-१७

लोकतंत्र में लोकेके सरकार होएत छैऽ
सभसँ पैघ शक्ति मताधिकार होएत छैऽ

कर्तव्यके सेहो तऽ सभ बखरा लगा लियऽ
संविधानमें छुच्छे नै अधिकार होएत छैऽ

आरक्षणक ई मांग ओकरे छजैत छैक
बुइधसँ शरीरसँ जेऽ लाचार होएत छैऽ

भेल तीत फर दोख गाछे केर कियैक
योगी-
वैद्द्य घर में सेहो बीमार होएत छैऽ

प्रेमक पुछारि होइत किराना दोकान में
 

आब एहनो गैंहकी  आ  पैकार होएत छै

काल संग नै चलल से कालातीत भऽ गेलै
काल संग जेऽ चलय कलाकार होएत छैऽ

ईरखक घमासान छै झटकारिकऽ चलू
"नवल" डेऽगेऽ-डेग पलटवार होएत छैऽ

***आखर-१६
सरल वार्णिक बहर
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-२१.०७.२०१२)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों