प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक रुबाइ
ऐ शत्रुकेँ तँ तोड़ै लेल दम चाही
मात्र चित्रगुप्त नै ऐ लेल यम चाही
अहाँसँ किछु नै बिगड़तै एकर
एकरा शोधै लेल तँ खाली हम चाही
प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक रुबाइ
ऐ शत्रुकेँ तँ तोड़ै लेल दम चाही
मात्र चित्रगुप्त नै ऐ लेल यम चाही
अहाँसँ किछु नै बिगड़तै एकर
एकरा शोधै लेल तँ खाली हम चाही
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