रविवार, 29 जुलाई 2012

गजल

गजल-१६

ई प्रश्न जेऽ उठल आब बाबुक बाद के
भऽ गेल कान ठाढ़ सभ दर-दियाद के

उपजाके बेर में त हांसू पिजा रहल
अहि खेतमें मुदा देत पाइन-खाद के

ममरी तऽ खा गेलै सभ लुझि-लपटि कऽ
जे पेईन में बंचल छै सेऽ पीत गाद के

बांटि-
चूटि सभकिछु बखरा लगा लियऽ
सहतैक ई अनेरे बरदिक लाद के

गीजल जेऽ पाईके ओ भीजत की नोरसँ
वानर की जानऽ गेल आदक सुवाद के

भतबऽरी के प्रथा
छै चलल गामे-गाम
कहतै समाद केऽ आ सुनतै समाद केऽ

करेज सँ नञि ओ "नवल" पेटसँ छलै
संबंध केर गंध उड़ल संग पाद केऽ
***आखर-१५
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-२४.०६.२०१२)

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