सोमवार, 14 जनवरी 2013

बाल गजल

बाल गजल-88

बरसा बरसि रहल छम छम
पाथर खसल खूब धम धम

भोरे उठू घास देखू
मोती चमकि रहल चम चम

पोखरि तँ जेतै बिआहल
बाजै कते ढोल ढम ढम

खीचै बरद बरदगाड़ी
घोड़ा तँ खीचैछ टम टम

आँगन तँ सोन्हगर लागै
तरुआ गमकि रहल गम गम

निकलत "अमित" पेट तोहर
खाएल कर तूँ तँ कम कम

मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2212-2122
बहरे-मुजस्सम वा मुजास

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों