सोमवार, 14 जनवरी 2013

बाल गजल

बाल गजल-80

इनारक जल कतऽसँ एलै 
जतऽसँ पोखरि भरल गेलै

तखन भेलै खेत कादो
जँ पटबन भरि राति भेलै

जखन एलै बाढ़ि आँगन
तखन चौकी कोच हेलै

जखन बाबू हाट गेलनि
तखन बुचिया खूब खेलै

जखन गाड़ी भेल गड़बड़
तखन जोरसँ लोक ठेलै

रहै मेला पैघ लागल
हमर पिपही तखन एलै

उगल रौदा जखन कड़गड़
तखन हमर स्नान भेलै

मफईलुन-फाइलातुन
1222-2122
बहरे-मजरिअ

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों